Wednesday, September 10, 2014

SANJHI - UTSAV

" SANJHI - UTSAV " :-
Celebrations:
Evening blossoms in the Temple tradition of the Radhavallabh Temple with the advent of SANJHI during dark fortnight of Ashwin, commencing right from the Poornima (last day of the bright fortnight) of Bhadrapad.
Holy Musiacal Tribute:
The temple musicians from this day narrate verses of SANJHI at the Temple during evening when the SANJHI is performed in the frontal veranda of the Jag Mohan. For the first ten days it is decorated with flowers and for the last five days (from the eleventh day to fifteenth day of dark fortnight) in colored powders. These floral decorations of SANJHI comprise various acts of Sri Radha and Sri Krishna (different Leelas).
Decorations and bhog:
Various types of delicacies Moothaa Laddos, Besan Ladoos, Mathari (sweet), Sweet Seva, Sakalpara, Salt Mathari, Mohanbhog etc. offered to Sanjhi.Devotees offer alms to the poor.


कल से श्री राधावल्लभलाल जी के मंदिर में सांझी उत्सव प्रारंभ हो गया है ! समाज में सांझी के पद होयें ! भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा 9 सितम्बर से ये सांझी उत्सव प्रारंभ हो गया है जोकि आश्विन कृष्ण अमावस तक चलेगा ! इसमें अनेक रंग बिरंगे पुष्पों के द्वारा सांझी की रचना की जाती है एवं एकादशी से पांच दिनों तक रंगों की सांझी बनाई जाती है ! यह उत्सव श्री प्रिया जू से सम्बंधित है इसलिए रसिकों का इस उत्सव पर अधिक ममत्व है ! गोस्वामी श्री हित रूपलाल जी महाराज ने अपनी वाणी में बताया है की सांझी के रूप में श्री प्रिया जी राधेरानी संध्या देवी का पूजन करती हैं ! वर्षाकाल में संध्या के समय आकाश में रंग बिरंगे बदल छाये रहते हैं इसलिए सांझी भी अनेक रंगों से बनाई जाती है ! संध्या को रजनीमुख भी कहा जाता है इसलिये इस काल में ही श्री हिताचार्य महाप्रभु श्री हित हरिवंश गोस्वामी जी महाराज ने अपनी वाणी में श्री युगल के प्रेम विहार का वर्णन आरम्भ किया है ! सांझी उत्सव के समय श्रीहित राधावल्लभलाल जी महाराज के समाज में सांझी उत्सव के कई पद श्री ठाकुर जी के समक्ष गाये जाते हैं जिसमे की "वन की लीला लालही भावे" एवं "फूलन बीनन हौं गयी" ये पद नित्य ही श्री जी महाराज को सुनाये जाते हैं ! आप सभी श्रीहित उपासक, युगल उपासक, रसिक भक्तों को सांझी के प्रेममय एवं रसमय मधुराधिमधुर उत्सव की बहुत बहुत बधाई ! जै श्री राधे, जै जै श्री हित हरिवंश !!

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